Friday, July 30, 2010

मेरी आवाज़ सुनो -----















मेरी
आवाज़ सुनो, दुनिया वालों,
मेरे साथ चलो, दुनिया वालों,

हर कदम मीला के चलो,
ना बेबसों को राह से हटा के चलो,

है वो भी एक इंसान,
जो आज बेबस बना है ,
है तकदीर की मार उस पर,
जो आज वो बेबस बना है !

बेबसी हो या लाचारी,
ये कोई ऐसे रोग नहीं, जिन्हें दूर किया जा सके,
दुनिया में नहीं है, कोई भी ऐसा काम,
जिसे इंसान चाहे और सम्पूर्ण ना किया जा सके !

जाग जा इंसान छोड़ अपनी बेबसी पर रोना,
सब कुछ पा सकता है तू इस जहान में,
बस जरूरत है तेरे खुद के इरादों का मजबूत होना!

अपनी इन्हीं इरादों की मजबूतियों से एक दिन,
पर्वत की चोटी पर होगा तेरा ठिकाना,
दुनिया होगी तेरी मुट्ठी में, और एक दिन बनेगा तेरा भी इतिहास सुहाना!

3 comments:

  1. कुछ गहन ....कुछ सच ,,,और कुछ जोश ...बहुत कुछ है इस रचना में ,,,,,,बधाई !!!

    शब्दों के इस सुहाने सफ़र में आज से हम भी आपके साथ है इस उम्मीद से की साथ चलने ने दोनों का सफ़र आसन तो होगा .......आपकी अगली रचना की प्रतीक्षा में ....!!!

    ReplyDelete
  2. aapke blog par ..followers ki list nahi mil rahi ....??????????

    ReplyDelete
  3. दुनिया में नहीं है, कोई भी ऐसा काम,
    जिसे इंसान चाहे और सम्पूर्ण ना किया जा सके !

    very nice, loved it.

    ReplyDelete