Tuesday, February 8, 2011

होंसलो से भरे नन्हे कदम!













" होंसलो से भरे जो नन्हे कदम, सफ़र कि शुरुवात करते हैं,
वो कड़ी मुश्किलों में भी, अपनी तय कि गई मंजिलों को पार करते हैं !
नहीं चाहते कोई सहारा, वो स्वयं पर इतना विस्वास करते हैं,
ऐसे लोग हार कि नहीं बल्कि हार कर, फिर जीतने कि बात करते हैं!
और वो लोग जो सिखाते हैं, मुश्किलों में भी हौंसले से आगे बढते रहना,
ऐसे लोगों का तो जिंदगी के रास्ते भी बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं!"

1 comment:

  1. कितना सुन्दर वर्णन है यह नीलम जी| दो पंक्तियाँ इसमे और जोड़ना चाहूँगा:-

    उन्माद भी ऐसा मिलता है, की इन होंसलों से विराने में भी गुलिस्तान खिलता है!
    यूँही हों और भी निडर, बढ़ें बस डगर डगर, ये नन्हें होंसलें हमारे||
    ‍‌
    दिव्य

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