जिंदगी कि आदत है ठोकरें देने कि ,हर मोड़ पर एक नई परीक्षा लेने कि !
दिखाती है कई नए रास्ते,
मंजिलों से भी परिचय कराती है जिंदगी,जहाँ में कभी मिलाती है फरिश्तो से,
तो कभी राक्षसों से सामना कराती है जिंदगी,हर मोड़ पर इंसान को कुछ नया सबक पढ़ा जाती है जिंदगी!किसी कि आँखों में सपने तो,
किसी को निराश कर जाती है जिंदगी,किसी को कामयाबी तो किसी को गुमनामी दे जाती है जिंदगी,अपनी हर एक ठोकर से, एक नई सीख सिखाती है जिंदगी,नाजुक कांच से, हमें एक मजबूत चट्टान बनती है जिंदगी!ठोकरे खा कर गिर जाना नहीं ,मुश्किलों के आगे सर झुकाना नहीं,
सपनों के टूटने पर बिखर जाना नहीं, ये सब हमे बताती है ये जिंदगी !ठोकरे खा खा कर आगे बढते जाना हे तुझे ....अपने सपनों को सच कर दिखाना है तुझे....
ठोकरे तेरे इरादों से ज़्यादा मजबूत नहीं, सिर्फ ये आईना ज़िन्दगी को दिखाना है तुझे!
उगता हुआ सूरज सभी को बहुत भाता है,क्यूंकि ये अपने साथ बहुत सा प्रकाश ले कर आता है!हर इंसान आज उगता हुआ सूरज बनना चाहता है,इतनी बड़ी दुनिया में अपनी एक पहचान कायम करना चाहता हैं!ठीक सूरज कि भाँती ही सदा जगमगाना चाहता है!
डूबने का ख्याल मात्र भी हर इंसान को बहुत सताता है,इसीलिए शायद डूबता हुआ सूरज किसी को भी नहीं भाता हैं !
उगना - डूबना, हारना - जीतना, खोना- पाना, आना - जाना,
ये सभी पात्र हैं मानव जीवन के ! इन सभी के बगैर जीवन नामुमकिन हैं! जीवन तो एक रंगमंच हैं , ओर लोग हैं कठपुतलियाँ , रंगमंच में लोगो ने अपनी मेहनत से क्या क्या नहीं कर लिया!इस जीवन में सभी को कुछ न कुछ हैं ख़ास मिला है!जरूरत हैं तो, उस खासियत को पहचानने कि,
पहचान कर उसे तराशने कि, जाने कब किसी कोयले से हीरा निकल आये!
किसी ने सच ही कहा है कि, उठती हुई लहरों को साहिल कि परवाह नहीं होती,
मजबूत हौसलों के आगे कोई दीवार नहीं होती,
ज़ज्बा हो तो एक नन्हा दिया भी सूरज कि रौशनी कर दिखाता हैं,
क्यूंकि उसे जल कर अपने रौशनी का प्रकाश फैलाना बखूबी आता हैं!