Monday, November 21, 2011

ख्वाबों को सदा जिंदा रख























हर कदम पर नए साँचें में ढल जातें हैं लोग,
देखते ही देखते बदल जातें हैं लोग !

कई लोग अपनों में ही सिमटे रह जातें हैं ताउम्र ,
तो कई पूरी दुनिया को अपना बना जातें हैं वहीँ!

सभी लोग सपने देखतें हैं यहाँ,
लेकिन बहुत कम ही इन सपनो को हकीक़त में बदल पातें हैं यहाँ,
ओर जो लोग ऐसा कर दिखातें हैं, उन्हें पलकों पर लोग बीठातें हैं यहाँ!

ओर कुछ ऐसे ही लोग ये सिखलातें हैं हमें कि -------
आँखों में सिर्फ सपनो को सजाने से कुछ नहीं होता,
मुश्किल हालतों में घबराने से यहाँ कुछ नहीं होता,

आवाज हैं गर जेहेन में , तो उस आवाज़ को बुलंद कर ,
अगर भरोसा हैं खुद पर , तो इन्ही सपनो से अपनी ज़िन्दगी कि एक नई शुरुआत कर !

गर देखें हैं जिंदा आँखों से सपने , तो इन ख्वाबों को सदा जिंदा रख,
एक ठोकर से घबरा नहीं बल्कि हजार ठोकरों , का सामना करने का खुद को हर पल तैयार रख!

तू हैं तो ये तेरे सपने हैं, तू नहीं हैं तो ये सपने कहाँ .......
सदा बस इसी एक बात को तू याद रख !


Sunday, August 28, 2011

हर कोई


पंख लगाकर खुले आसमान में उड़ना चाहता हैं हर कोई,
आँखों से आंसुओं को हटा , मुस्कुराना चाहता हैं हर कोई!

कहता है कोई कि मेरी किस्मत ख़राब हैं,
तो कहीं , उन्ही परिस्थितियों में आगे बढ़ जाता हैं कोई ,

कोई करता हैं इंतजार ताउम्र किस्मत बदलने का,
तो कोई रच देता हैं सामने इतिहास वहीं!

मेहनत ओर लगन से सब कुछ हैं मिलता,
हाथों कि लकीरों से सफलता का कोई सरोकार नहीं,
क्योंकि, तकदीर तो उसकी भी चमकती हैं जिसके होते दोनों हाथ नहीं !

सवार अपने सर पर कुछ जूनून ऐसा, कि बस अब अपना लक्ष्य तुझे पाना हैं,
रह जाएगा न फिर कुछ ऐसा दुनिया में, जो हाथ तेरे ना आना हैं!

तुझे बस हर समय यही विश्वास अपने अन्दर जगाना हैं, तू हैं तो ये ज़माना हैं,
आया हैं जो इस दुनिया में, तो तुझे कर के अपने सपनों को सच दिखाना हैं !

Friday, March 4, 2011

पहला कदम




















ये
कैसी है विडम्बना, ये कैसी है मजबूरी,
हर एक इंसान कि ज़िन्दगी आज लगती है क्यूँ अधूरी!

आँखों में सपने हैं, कोशिशे भी है पूरी,
किन्तु
अभी भी मंजिलों को पाने में काफी है दूरी!

आज इंसा चाहता हैं कुछ और, मगर हो जाता है कुछ और,
सपने देखता है कुछ ओर, हकीकत मिलती है कुछ और!

हर एक लगा हैं अपनी मंजिल को पाने में,
जहाँ
में अपने आप को कुछ ख़ास बनाने में!
किन्तु विडम्बना है बड़ी, कि बहुत समय लग जाता हैं जीवन में पहला कदम उठाने में!

सोच समझ कर उठाये क़दम जीवन में हमेशा आगे बढाते हैं ,
कभी
सफलता तो कभी असफलता, जीवन में दे जाते हैं!
आने
वाले समय का सामना करने के लिये हमे, एक परिपक्व इंसान बनाते हैं!

जीवन में नेक कदम उठाने से पहले, कभी नहीं घबराना चाहिये,
मुश्किलें चाहे कितनी ही बड़ी क्यूँ हो, आपका होंसला कभी नहीं डगमगाना चाहिए,
मंजिलें खुद पीछे आएँगी आपके, आपको सिर्फ अपने होंसलो के साथ आगे बढते जाना चाहिए!

Tuesday, February 8, 2011

होंसलो से भरे नन्हे कदम!













" होंसलो से भरे जो नन्हे कदम, सफ़र कि शुरुवात करते हैं,
वो कड़ी मुश्किलों में भी, अपनी तय कि गई मंजिलों को पार करते हैं !
नहीं चाहते कोई सहारा, वो स्वयं पर इतना विस्वास करते हैं,
ऐसे लोग हार कि नहीं बल्कि हार कर, फिर जीतने कि बात करते हैं!
और वो लोग जो सिखाते हैं, मुश्किलों में भी हौंसले से आगे बढते रहना,
ऐसे लोगों का तो जिंदगी के रास्ते भी बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं!"

Saturday, January 15, 2011

जिंदगी कि सिख















जिंदगी
कि आदत है ठोकरें देने कि ,
हर मोड़ पर एक नई परीक्षा लेने कि !

दिखाती है कई नए रास्ते,
मंजिलों
से भी परिचय कराती है जिंदगी,

जहाँ में कभी मिलाती है फरिश्तो से,
तो
कभी राक्षसों से सामना कराती है जिंदगी,
हर मोड़ पर इंसान को कुछ नया सबक पढ़ा जाती है जिंदगी!

किसी कि आँखों में सपने तो,
किसी को निराश कर जाती है जिंदगी,
किसी को कामयाबी तो किसी को गुमनामी दे जाती है जिंदगी,

अपनी हर एक ठोकर से, एक नई सीख सिखाती है जिंदगी,
नाजुक कांच से, हमें एक मजबूत चट्टान बनती है जिंदगी!

ठोकरे खा कर गिर जाना नहीं ,
मुश्किलों के आगे सर झुकाना नहीं,
सपनों
के टूटने पर बिखर जाना नहीं, ये सब हमे बताती है ये जिंदगी !

ठोकरे खा खा कर आगे बढते जाना हे तुझे ....
अपने सपनों को सच कर दिखाना है तुझे....
ठोकरे
तेरे इरादों से ज़्यादा मजबूत नहीं, सिर्फ ये आईना ज़िन्दगी को दिखाना है तुझे!




Monday, January 3, 2011

सूरज का प्रकाश !




















उगता
हुआ सूरज सभी को बहुत भाता है,
क्यूंकि ये अपने साथ बहुत सा प्रकाश ले कर आता है!

हर इंसान आज उगता हुआ सूरज बनना चाहता है,
इतनी बड़ी दुनिया में अपनी एक पहचान कायम करना चाहता हैं!
ठीक सूरज कि भाँती ही सदा जगमगाना चाहता है!

डूबने
का ख्याल मात्र भी हर इंसान को बहुत सताता है,
इसीलिए शायद डूबता हुआ सूरज किसी को भी नहीं भाता हैं !

उगना
- डूबना, हारना - जीतना, खोना- पाना, आना - जाना,
ये
सभी पात्र हैं मानव जीवन के !

इन सभी के बगैर जीवन नामुमकिन हैं!

जीवन तो एक रंगमंच हैं , ओर लोग हैं कठपुतलियाँ ,
रंगमंच में लोगो ने अपनी मेहनत से क्या क्या नहीं कर लिया!
इस जीवन में सभी को कुछ कुछ हैं ख़ास मिला है!

जरूरत हैं तो, उस खासियत को पहचानने कि,
पहचान
कर उसे तराशने कि, जाने कब किसी कोयले से हीरा निकल आये!

किसी ने सच ही कहा है कि, उठती हुई लहरों को साहिल कि परवाह नहीं होती,
मजबूत हौसलों के आगे कोई दीवार नहीं होती,

ज़ज्बा
हो तो एक नन्हा दिया भी सूरज कि रौशनी कर दिखाता हैं,
क्यूंकि
उसे जल कर अपने रौशनी का प्रकाश फैलाना बखूबी आता हैं!