वक़्त आता है और वक़्त जाता हैं
वक़्त कभी आता है, वक़्त कभी जाता हैं,
हज़ारों सपने आँखों में भर जाता हैं
कभी हमें रुलाता हैं , कभी हमे हंसाता हैं
हर पल हमारा वास्ता हक़ीक़त से ये कराता हैं!
एक पल सोचते हैं हम की अब मिल जायेगी मंजिल
अगले ही पल वो सपना टूट जाता हैं!
क्या हैं सपना और क्या हैं हक़ीक़त इसकी पहचान हमे ये वक़्त ही कराता हैं!
हम जीत लेंगे दुनिया को ये एहसास कितना उत्साह भर जाता हैं,
किन्तु ये तो था नामुमकिन सिकंदर के लिये भी , इससे रूबरू ये वक़्त ही हमें कराता हैं!
वक़्त कभी आता है, वक़्त कभी जाता हैं,
ये सिलसिला हर वक़्त यूंही चलता रह जाता हैं!
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