
ज़िन्दगी कि दौड़ में,
कदमों की अक्सर आवाज़ नहीं होती,
मौसम चाहे कोई भी आये, ज़िन्दगी उससे कोई सरोकार नहीं रखती !समय कभी रुकता नहीं,
आसमान कभी झुकता नहीं,तो तू तो एक इंसान है, उस विधाता की एक अनमित पहचान है,हे मनुष्य तू सर्वशक्तिमान है, फिर भी क्यूँ तू अपनी शक्तियों से अनजान है!
ये दुनिया है जहाँ, काबिलों की होती है पहचान बस ,
खुद में काबिलियत लाने का तू, कर कुछ प्रयास बस,
सब कुछ मिल जाएगा तुझको ,बस थोडा सा खुद पर विश्वास रख!

जलती है जब अग्नि, तो रौशनी बुझाई नहीं जाती,बिना मिटटी के तो फसल भी उगाई नहीं जाती!माना कि हर मंजिल आसान नहीं होती,हर कोयले के अन्दर छुपी हीरे कि खान नहीं होती!हर मशाल को रौशनी, करने के लिये जलना ही पड़ता है,अपनी हस्ती को मिटा कर, दूसरो कि दुनिया उजागर करना ही पड़ता है!ये ज़िन्दगी एक जंग का मैदान है,यहाँ हर जीत को हासिल करने के लिये, परिश्रम करना ही पड़ता है!परिश्रम करने के बाद भी मंजिल कब मिले कुछ कह नहीं सकते,पर बस इंतज़ार के सहारे भी तो जिंदा रह नहीं सकते!खुद पर यकीन कर के ही हम चल पड़े है आगे,हम नहीं वो इंसा जो ,मुश्किलों से भागे,नहीं इतने कमज़ोर हमारे विश्वास के धागे!जो सच्ची है मेहनत तो, एक न एक दिन जग में मिल जायेगी ख्याति,किसी ने ठीक ही कहा है कि, सच्ची प्राथनाये कभी व्यर्थ नहीं जाती !!

दोस्ती एक अनमोल तोहफा होता है,जिसका इस दुनिया में एक अहम् मोल होता है!दोस्ती करना दुनिया का दस्तूर है,किन्तु इसे निभाना थोड़ा मुश्किल जरूर है!दोस्ती करो तो कृष्ण भगवान् जैसी,भक्ति करो तो हनुमान जैसी,मर्यादा स्थापित करो तो श्री राम जैसी,करो ऐसी दोस्ती जिससे संस्कारों का जग में उत्थान हो,करो किसी से दोस्ती गर जग में दोस्ती का तुम सम्मान करो,इसी संकल्प के साथ एक नए युग कि और तुम प्रस्थान करो !सूरज ना बन पाए तो ना सही,हो सके तो दीपक बनकर ही तुम रौशनी का दान करो!करो जो दोस्ती किसी से तो उसे निभाने का प्रयास करो ,किन्तु अपने आदर्शों को रखो सबसे सर्वोच्य,इसमें कभी ना कोई समझोता तुम स्वीकार करो!

कोई भी इंसान कमज़ोर या ताकतवर नहीं होता,ज़िन्दगी जीने के हौंसले, ये पहचान बनातें हैं उसकी,ये जीने के हौंसले....
किसी को तो शोहरत की बुलिन्दयों तक पहुंचा देतें हैं ,और किसी की आँखों को अनगिनत आंसू दे जाते हैं ,किन्तु कोई भी हालात, इंसान के इरादों से ज्यादा मजबूत नहीं होतें,जो लोग करतें हैं खुद पर यकीन, वो बुरे हालातों के समक्ष भी मजबूर नहीं होतें! जिनकी चाहत है उड़ने की जहाँ में ,वो उड़ान भर ही लेतें हैं,पंख भले ही न दे साथ उनका शुरूआत में,किन्तु अपनी बार- बार की कोशिशों से,वो उन निर्जीव पंखो में भी,एक न एक दिन जान भर ही लेतें हैं!जिनको होता है खुद पर भरोसा,वो अपनी तय हर मंजिल को हासिल कर ही लेतें है!