आइना है अक्स चहेरे का, जो दूर से धुंदला दिखता है,
जो पास आओ इसके तो, स्वं अपना ही चहेरा दिखता है !
आइना होता है बहुत नाज़ुक, जो एक ठोकर से टूट जाता है,
सारे अक्स बिखर जाते है, केवल टूकड़े ही टूकड़े नजर आते है!
आइना कहते है शीशे को जो की बहुत ही काम आता है,
कभी चहेरा देखने के तो कभी किसी और काम में आता है!
मगर ये है आईने की बदकिस्मती,
जो एक हवा के झोंके से ही टूट जाता है!
रह जाते है सिर्फ यादों के पुलिंदे वहाँ
क्योंकि आईने का अक्स तो कब का बिखर जाता है!
very nice loved it u use very nice words in this. I liked it, keep doing the good work.
ReplyDeleteVery true saying... keep writing
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