Saturday, July 17, 2010

वक़्त नहीं - क्यूँ ?

हर चीज़ होते हुए भी ,आज लोगो के पास वक़्त नहीं होता,
याद तो आती है अपनों की ,किन्तु अपनों को ख़त लिखने का भी वक़्त नहीं होता-क्यूँ !

हर खुशी होते हुए भी आज लोगों के पास हंसी के लिए वक़्त नहीं -क्यूँ ,
माँ की लोरी का एहसास तो है ,पर माँ कों माँ कहने का वक़्त नहीं -क्यूँ ,
आँखों में होती है नींद भरी , लेकिन सोने के लिए वक़्त नहीं -क्यूँ ,
पैसे की दौर में आज ऐसे दौड़े सब की,थकने को भी वक़्त नहीं -क्यूँ ,
पराये एहसानों की क्या बात करें,आज तो अपने सपनो ले लिए भी वक़्त नहीं-क्यूँ ,

आखिर क्यूँ इतने मशरूफ हो गए है आज लोग,
दिन रात दौड़ती दुनिया में क्यूँ खो गए है लोग,

तू ही बता ज़िन्दगी,इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
जहाँ लोग तो होंगे ,मगर सभी संवेदनाये कही लुप्त हो जायेंगी,

हज़ारों क्यूँ सामने होंगे लोगों के समक्ष ,
और जवाब कहीं विलुप्त होंगे !!

1 comment:

  1. wow.............. very nice, very touchy and very true, so nice. It contains the whole enigma of life. This the irony of today's world if u have time u'll not have money and visa verse. Why the life is so difficult today, lets not think too much about it and enjoy the moment to its fullest.

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