Monday, July 19, 2010

आज की पीढ़ी

तीर है हम,हमें चलाओं तो सही,
फिर हम खुद खुद अपना निशाना चुन लेंगें,

चुन लेंगे मंजिल, कोई ठिकाना चुन लेंगें,
जो पड़ी जरूरत लड़ने की, तो जिंदगी से टकराना सीख लेंगें!

जो लगेगी ठोकर कभी, तो गिर के उठ लेंगें,
धरती की मिट्टी को अपने दामन में भर लेगें,
छोड़ खुशियों को दुखो से अपना रिश्ता जोड़ लेंगें!

हर मुश्किल का सामना अपनी हिम्मत से हर बार करेंगें,
नहीं रहेंगें पीछे किसी से हम अपनी ऐसी मंजिल तय करेंगें,

रहतें हुए इस धरती पर उस आकाश को छू लेंगें ,
जब तक है जान शरीर में,हर बुराई से लड़ेंगें,

आने वाली पीढ़ी के लिए हम भी एक मिसाल बनेंगें,

मिसाल बनेंगें ऐसी, जिसे दुनिया भुलाए भुला सके,
पर्वत का वो शिखर बनेंगें जिसे, कोई झुकाए झूका सके,
इतिहास रचेंगें कुछ ऐसा जिसे युगों- युगों तक कोई मिटाए मिटा सके!

1 comment:

  1. very nice, lovet it. Your writing is wonderful, it is only geting improved day by day so never stop it and carry on and on and on.........................

    well done for amazing work.

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