
जन्म हुआ जब तेरा तेरे चेहरे पर कितना नूर था,
ये जहाँ तेरी सोच से भी मीलो दूर था,
जब तू पैदा हुआ सोचा है कभी,तू स्वयं कितना मजबूर था!
हाथ पाँव भी तब तेरे अपने ना थे
तेरी आँखों में दुनिया के सुनहरे सपने ना थे,
करना कुछ भी तुझे आता ना था ,
माँ को छोड़ दूजा कोई, तुझे भाता ना था,
तेरा सबसे प्यारा साथी,खिलौना ही था,
तुझको आता सिर्फ रोना ही था,
दूध पी कर काम तेरा सोना ही था!
जैसा भी था बड़ा प्यारा था वो समां
बचपन था ना,सुन्दर तो इसे होना ही था!
very nice, loved it. Keep doing the good work!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleterealy very beautiful..........
lajabab, behtreen aisa sundar poetry pahli bar padne dk mili.
ReplyDeleteThankyou