Saturday, July 31, 2010

कुछ ख़ास बनो !



















आस
से जुड़ीं, हर एक विशवास होती है,
हर इंसान में, कुछ ना कुछ बात ख़ास होती है!

ये सच है की, हर सुबह के बाद ही रात होती है,
ग्रीष्म ऋतू के जाने के पश्चात ही बरसात होती है!

लोग खुद को कभी हिन्दू, कभी मुस्लिम
तो कभी सिख तो कभी इस्साई करार देतें हैं ,
इन्हीं के बीच कहीं अपनी असली पहचान-" इंसान"
होने का सबूत भूल जातें हैं !

भूल जातें है मानव से मानव का रिश्ता,
अपना वजूद भूल जातें हैं!
मैं पूछती हूँ----
क्या मानवता से बड़ी धर्म और जाती होती हैं,
क्यूँ सच के लिए लड़ना आज इन्सां के लिए एक आहुति होती है,
क्यूँ सब कुछ होते हुए भी आज हर इन्सान की ज़िन्दगी एक चुनौती होती है,

चुनौतियों को पार कर के ही, मंजिलें हर घड़ी पास होती हैं,
राहों में पड़ी कहीं कटीली झाड़ियाँ तो कहीं मुलायम घास होती है!
किसी ने सच ही कहा है की -
जिस इंसान के पास विश्वास की मजबूत तलवार होती है ,
उसकी जीत हर जगह हर बार होती हैं!

उसकी पहचान किसी एक धर्म ,एक देश ,एक भाषा की मोहताज़ नहीं होती,
बल्कि सारी दुनिया के लिए ख़ास होती हैं!

"जीत ले सारी दुनिया को तू खुद में इतनी आस पैदा कर,
कुछ तो है ख़ास तुझ में ऐसा आत्मविश्वास पैदा कर ! "

2 comments:

  1. आस से जुड़ीं, हर एक विशवास होती है,
    हर इंसान में, कुछ ना कुछ बात ख़ास होती है!

    ---बहुत खूब कहा , नीलम go on.

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  2. very nice sweety, loved it. Well said har insaan mein kkhas baat hoti hai, Jaise aap, ur truely a wonderfull writer. Loved all ur poems, keep doing the good work.

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