Thursday, July 22, 2010

कुछ बोलती हैं ------


















पंथी
को मिलेगी छाया, ये वृक्षों की फैली पत्तियों बोलती हैं,
मुसफ़िर को मिलेगा किनारा, ये तूफानों में चलती कश्तियाँ बोलती हैं !

पंछियों को उड़ते हुए मिलेगी मंजिल एक दिन, ये उनकी फैली हुई पंखुड़ियां बोलती हैं!
जो ज्ञान से परिपूर्ण है, उसे स्वयं कुछ बोलने की आवश्याकता नहीं पड़ती,
उसके लिए तो सारी दुनिया बोलती है!

बनना है कुछ जहाँ में तो वो हीरा बन, जिसकी अपनी एक अलग चमक बोलती है!

2 comments:

  1. हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
    कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....

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  2. very good yaar i mean superb, mindblowing, fantastic, beautiful, fantabulous.............

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