Thursday, July 29, 2010

[कुछ यूँ जियो]















बन
जा एक दीया और रौशनी करता चल जग वालों के लिए,
अपने दीये की लो को कायम रख,हर परिस्तिथि में आगे जाने के लिए!

तू कर भला और परोपकार- मगर ना हो वो दिखाने के लिए,
ये सच है जो आया है जग में जायेगा एक दिन,
सूरज भी हमेशा के लिए डूब जायेगा एक दिन !

मगर तू उन फूलों को देख,
जो दुनिया में आते है सिर्फ, दूजो की खुशियों को लाने के लिए,
सभी ख़ुशी- ख़ुशी, अपनी खुशियों का देते हैं बलिदान,
सिर्फ किसी, दुसरे के आशियाँ को सजाने के लिये!

ले सिख इनसे हर इंसान, अगर बनना है तो सहारा बने बेसहारों के लिये,
अपने लिये तो सभी जीते है, जी सके तो सिर्फ खुद के लिये नहीं,
बल्कि जीने का कारण बनो हज़ारों के लिये !

2 comments:

  1. the poem is very nive even the picture u put over the poem is also very nice i loved both very much.

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